मंगलवार, 29 सितंबर 2015

*****क्रान्तिकारी सरदार भगत सिंह*****
  ( सिंहावलोकनी दोहा मुक्तक )
देश-धर्म पर मर मिटे ,,,,,,,, ,भारत माँ के लाल ।
लाल-लाल नैना हुए ,,,,, विद्युत पुँज सी ज्वाल । ।
ज्वाल गगन को छू गयी , वो भगत सिंह हुँकार ।
हुँकार दलिया दल गई ,,,,,,,,,,बिगड़ी गौरी चाल । । 

*******सुरेशपाल वर्मा 'जसाला' (दिल्ली )

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