विधा -गीत ( मंदिर मस्जिद गुरु-द्वारे )
मात्राभार प्रति पंक्ति =16 +16
मंदिर मस्जिद गुरु-द्वारे की,
अन्तर-व्यथा को कहूँ कैसे ?
नीर भरे उनके नैनों की ,
पीड़ा को बयाँ करूँ कैसे ?
मंदिर ने मस्जिद से पूछा ,
री ! हाल बता क्या है तेरा ?
मस्जिद बोली आतँक गहरा,
निर्दोषी रक्त सहूँ कैसे ?
मस्जिद भी पूछे मंदिर से,
तू भी तो हाल बता अपना ;
मंदिर बोला लड़ते सारे ,
मैं चिन्ताहीन रहूँ कैसे ?
गुरु-द्वारे ने मौका देखा ,
चर्च से पूछा उसका हाल ;
भीषण बम्ब बनाते सारे,
दुखी मन, विनाश वरूँ कैसे ?
चर्च का प्रश्न गुरु-द्वारे से ,
अब कैसे कटते दिन तेरे ?
उत्तर आया ईर्ष्या में सब ,
आँसू अपने रोकूँ कैसे ?
आँखें उनकी भरी-भरी थी ,
था दिल भी उनका भरा-भरा ;
सपना ही था पर अच्छा था ,
उसको मैं अब भूलूँ कैसे ?
हृदयहीन तो चिन्तित देखे,
पर हृदयवान हैं सब जीरो ;
मानव मानवता छोड़ चला ,
उसको मानव कह दूँ कैसे ?
*****सुरेशपाल वर्मा जसाला (दिल्ली)
मात्राभार प्रति पंक्ति =16 +16
मंदिर मस्जिद गुरु-द्वारे की,
अन्तर-व्यथा को कहूँ कैसे ?
नीर भरे उनके नैनों की ,
पीड़ा को बयाँ करूँ कैसे ?
मंदिर ने मस्जिद से पूछा ,
री ! हाल बता क्या है तेरा ?
मस्जिद बोली आतँक गहरा,
निर्दोषी रक्त सहूँ कैसे ?
मस्जिद भी पूछे मंदिर से,
तू भी तो हाल बता अपना ;
मंदिर बोला लड़ते सारे ,
मैं चिन्ताहीन रहूँ कैसे ?
गुरु-द्वारे ने मौका देखा ,
चर्च से पूछा उसका हाल ;
भीषण बम्ब बनाते सारे,
दुखी मन, विनाश वरूँ कैसे ?
चर्च का प्रश्न गुरु-द्वारे से ,
अब कैसे कटते दिन तेरे ?
उत्तर आया ईर्ष्या में सब ,
आँसू अपने रोकूँ कैसे ?
आँखें उनकी भरी-भरी थी ,
था दिल भी उनका भरा-भरा ;
सपना ही था पर अच्छा था ,
उसको मैं अब भूलूँ कैसे ?
हृदयहीन तो चिन्तित देखे,
पर हृदयवान हैं सब जीरो ;
मानव मानवता छोड़ चला ,
उसको मानव कह दूँ कैसे ?
*****सुरेशपाल वर्मा जसाला (दिल्ली)
love is god
जवाब देंहटाएंथी आँखें उनकी भरी-भरी,
जवाब देंहटाएंथा दिल भी उनका भरा-भरा ;
सपना ही था पर अच्छा था ,
उसको मैं अब भूलूँ कैसे ?