सोमवार, 8 जून 2015

* गीत * (आ जा रे मधुकर तू आ जा )

***** गीत *****
आ जा रे  मधुकर तू आ जा
अपना गुन-गुन राग सुना जा  ;

युवती सी सरसों झूम रही
वो मोहक आभा पूर रही ;
अंगों  की कलियाँ उभर-उभर  
हैं पीत स्वर्ण सी घूर रही;
तितली को सँग ले के आ जा
आकर उसका दिल बहला जा  ;
आ जा रे  मधुकर ........... 

नन्हीं-नन्हीं कलियाँ  लुटिया
सब अधर-अधर तक पूर हुई ;
मन पवन उन्हें खूब नचाये
मस्ती से  सारी चूर हुई ;
छलक न जाये मधुरस उनका
प्रेमिल प्याला ले के आ जा ;
आ जा रे  मधुकर  ............
*****सुरेशपाल वर्मा जसाला (दिल्ली)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें