***** गीत *****
आ जा रे मधुकर तू आ जा
अपना गुन-गुन राग सुना जा ;
युवती सी सरसों झूम रही
वो मोहक आभा पूर रही ;
अंगों की कलियाँ उभर-उभर
हैं पीत स्वर्ण सी घूर रही;
तितली को सँग ले के आ जा
आकर उसका दिल बहला जा ;
आ जा रे मधुकर ...........
नन्हीं-नन्हीं कलियाँ लुटिया
सब अधर-अधर तक पूर हुई ;
मन पवन उन्हें खूब नचाये
मस्ती से सारी चूर हुई ;
छलक न जाये मधुरस उनका
प्रेमिल प्याला ले के आ जा ;
आ जा रे मधुकर ............
*****सुरेशपाल वर्मा जसाला (दिल्ली)
आ जा रे मधुकर तू आ जा
अपना गुन-गुन राग सुना जा ;
युवती सी सरसों झूम रही
वो मोहक आभा पूर रही ;
अंगों की कलियाँ उभर-उभर
हैं पीत स्वर्ण सी घूर रही;
तितली को सँग ले के आ जा
आकर उसका दिल बहला जा ;
आ जा रे मधुकर ...........
नन्हीं-नन्हीं कलियाँ लुटिया
सब अधर-अधर तक पूर हुई ;
मन पवन उन्हें खूब नचाये
मस्ती से सारी चूर हुई ;
छलक न जाये मधुरस उनका
प्रेमिल प्याला ले के आ जा ;
आ जा रे मधुकर ............
*****सुरेशपाल वर्मा जसाला (दिल्ली)
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