सोमवार, 22 जून 2015

गाँव : कहाँ गए वो गाँव

कहाँ गए वो गाँव -
पीपल पर झूले ,बरगद की छाँव
कबूतर की घुटुरघूं , मेंढक की टाँव 
चिड़िया की चहक ,कौए की कांव
न जाने  कहाँ गए वो गाँव ?

मुर्गे की बांग, सरसों का साग
सर्दी की ठिठुरन ,लकड़ी की आग
मस्ती का मल्हार, होली का फ़ाग
बैठक का हुक्का ,और आल्हा का राग
न जाने  कहाँ गए वो गाँव ?

गाँव की गौरी ,छमछम और घूँघट
दुल्हिन नवेली ,गगरी और पनघट  
शादी के गीत, मीठे और चटपट
 बालाओं की बात ,सुरीली और नटखट
 न जाने  कहाँ गए वो गाँव ?

गाय के बछड़े ,बैलों की कंठी
कट-कट रहट ,किसानों के शंटी
आम की खुशबू ,बेरों की कंटी
पंडित की पूजा ,मंदिर की घंटी
न जाने  कहाँ गए वो गाँव ?

कोयल की कूक ,मुर्गी का अंडा
कबड्डी का खेल , गुल्ली का डंडा
छाछ की मटकी ,खांड का ठंडा
घरोंदे का रेत , बचपन का फंडा
न जाने  कहाँ गए वो गाँव ?
***** सुरेशपाल वर्मा जसाला (दिल्ली)

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